Friday 6 February, 2009

'फूल हंसता रहा'


'फूल हंसता रहा'

एक फूल था मेरे जेहन में
हंसता हुआ...
हवा की थपकियां
उसे सहला रही थी
मैं खड़ा था ईश और इस'के बीच
जमाने से अनजान
देखता रहा...
वो मेरे दिल में घर कर गया।

वो भोर था
और लो
सुबह आ गई....
कोई और भी था,
मेरे साथ
उसे पहचान न पाया
क्योंकि वो मेरे पास
आया कहा से ?कब ?
पता न चला,
अब मैं फूल को
अपना मानने लगा।
ये जमाने के साथ
मेरे अंदर बढ़ने लगा।
फूल अब भी हंस रहा था।

सूरज चढ़ने लगा....
मेरी जिंदगी का,
...और जवां बनते-बनते
लो भाव भी बढ़ने लगा।
अब वो फूल सिर्फ मेरा था।
बाड़ लगाई।दूसरों को भगाया
मन में एक बात थी,
वो सिर्फ मेरा था....
फूल अब भी हंस रहा था।

सूरज ढलने लगा...
मेरा अहं कमजोर पड़ने लगा,
पर फिर भी,
उस पर अधिकार न छोड़ा...
शाम आती गई करीब,
जिंदगी की...
पर फिर भी
वो तो सिर्फ मेरा था...
फूल अब भी हंस रहा था।

फिर वो रात आई,
जो रुक नहीं सकती,
वो आती ही है
और'मैं सो गया'
फूल के पास ही-कोई छीन न ले इसे....
फूल अब भी हंस रहा था।

फूल हंसने को जन्मा है,
सुगंध फैलाने को।
कोई कैसे रोक सकता है
हंसने से?
कल भी वो हंसेगा
और रे पागल!
कल तेरी ही छाया
उसके बगल में खड़ी होगी,
दूसरों को भगाने के लिए।

रे मनु की संतान...
क्यों तू उसे बांटता नहीं?
वो तो
सबों के लिए हंसता है- सबों के लिए,
और गर तू उसे घेरेगा
तो वो तुझपर ही हंसेगा...
हंसता रहेगा...

आखिर वो तृष्णा ही तो है,
जो कभी मरती नहीं।
जिंदगी के साथ
या उसके बाद.....।।
-हिमांशु


9 comments:

इस्लामिक वेबदुनिया said...

aapki awaj buland ho

Param said...

भाई,बहुत बढ़िया..जितने सुंदर शब्द हैं, उतना ही साफ और सुंदर इस कविता का संदेश है। इसी तरह लिखते रहिए..हमेशा.
परम

Vivek Vashistha said...

nice.

अमिताभ said...

very nice himanshu !!

i like these lines very much

वो भोर था
और लो
सुबह आ गई....

कोई और भी था,
मेरे साथ
उसे पहचान न पाया
क्योंकि वो मेरे पास
आया कहा से ?कब ?
पता न चला,
अब मैं फूल को
अपना मानने लगा।
ये जमाने के साथ
मेरे अंदर बढ़ने लगा।
फूल अब भी हंस रहा था।

beautiful !! keep it up

luv u brother
amitabh

अभिषेक मिश्र said...

Acchi rachna, swagat.

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत बढिया रचना है।बधाई।

संगीता पुरी said...

बहुत सुंदर…आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्‍दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्‍दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्‍त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

तरूश्री शर्मा said...

बढ़िया कविता है हिमांशु औऱ संदेश भी अच्छा।

रचना गौड़ ’भारती’ said...

सुंदर रचना
भावों की अभिव्यक्ति मन को सुकुन पहुंचाती है।
लिखते रहि‌ए लिखने वालों की मंज़िल यही है ।
कविता,गज़ल और शेर के लि‌ए मेरे ब्लोग पर स्वागत है ।
मेरे द्वारा संपादित पत्रिका देखें
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