Tuesday 24 February, 2009

पब्लिक पावर




जिसका इंतजार था वो हो गया। सरकार ने एक्साइज ड्यूटी और सर्विस टैक्स की दरों में कमी का ऐलान कर दिया। हो सकता है, अगले कुछ दिनों में पेट्रोल-डीजल के दामों में फिर से कमी करने की घोषणा भी हो जाए। ये सब तमाशा होगा चुनाव की घोषणा से पहले। फिर सरकार कहेगी, हमने अपनी ड्यूटी की। उधर विपक्ष गला फाड़कर चिल्लाता रहेगा। सरकार कहेगी हम आम लोगों की भलाई चाहते हैं.....विपक्ष कहेगा ये सरकार निकम्मी है, ये सब चुनावी घोषणाएं हैं।.....


यही हमारी डेमोक्रेसी है?....जिसके लिए न जाने हम क्या-क्या दावे करते हैं। इलेक्शन से पहले जनता को सबकुछ सस्ता दे दो। लोगों को लगे कि सरकार ने उसकी भलाई में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रखी है।


...........चुनाव में जमकर पैसे लुटाओ। सफेद-काला सब। जो जीता वो सिकंदर। फिर इलेक्शन के बाद महंगाई से क्या डरना। जनता तो मूर्ख बन चुकी। अब आम जनता की पाई-पाई निकाल लो। जितना पैसा लुटा, उसका दुगुना वसूल लो। कुछ बड़े-बड़े साहूकारों तो जनकर इलेक्शन में पैसा लगाते हैं। जैसे ये चुनाव नहीं घोड़ों की रेस हो-या फिर कार्ड का खेल।


समय आ गया है कि जनता इन हथकंडों को समझे और उसी के हिसाब से सोच बनाए। ऐसा नहीं है कि इन चीजों को जानती नहीं, लेकिन उसके पास विकल्पों की कमी है। इसका एक ही उपाय है- जनता को विकल्प खुद चुनने होंगे। अच्छे लोगों की कमी की दुहाई देकर वो कर्तव्य से पीछे नहीं हट सकती।


जनता से ही अच्छे लोग सामने आएं। वे व्यवस्था को बदलें। यहीं उपाय है। मुंबई हमलों के बाद गेटवे ऑफ इंडिया की रैली से जनता अपनी ताकत दिखा चुकी है। वैसा ही एक मौका फिर से हमारे सामने हैं। आइए, हम एकबार फिर से एकजुटता का संदेश देकर ये साबित करें कि असंभव कुछ भी नहीं।


विचारों का स्वागत है,


-हिमांशु

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