'फूल हंसता रहा'
एक फूल था मेरे जेहन में
हंसता हुआ...
हवा की थपकियां
उसे सहला रही थी
मैं खड़ा था ईश और इस'के बीच
मैं खड़ा था ईश और इस'के बीच
जमाने से अनजान
देखता रहा...
वो मेरे दिल में घर कर गया।
वो भोर था
और लो
सुबह आ गई....
कोई और भी था,
मेरे साथ
उसे पहचान न पाया
क्योंकि वो मेरे पास
आया कहा से ?कब ?
पता न चला,
अब मैं फूल को
अपना मानने लगा।
ये जमाने के साथ
मेरे अंदर बढ़ने लगा।
फूल अब भी हंस रहा था।
सूरज चढ़ने लगा....
मेरी जिंदगी का,
...और जवां बनते-बनते
लो भाव भी बढ़ने लगा।
अब वो फूल सिर्फ मेरा था।
बाड़ लगाई।दूसरों को भगाया
मन में एक बात थी,
वो सिर्फ मेरा था....
फूल अब भी हंस रहा था।
सूरज ढलने लगा...
मेरा अहं कमजोर पड़ने लगा,
पर फिर भी,
उस पर अधिकार न छोड़ा...
शाम आती गई करीब,
जिंदगी की...
पर फिर भी
वो तो सिर्फ मेरा था...
फूल अब भी हंस रहा था।
फिर वो रात आई,
जो रुक नहीं सकती,
वो आती ही है
और'मैं सो गया'
फूल के पास ही-कोई छीन न ले इसे....
फूल अब भी हंस रहा था।
फूल हंसने को जन्मा है,
सुगंध फैलाने को।
कोई कैसे रोक सकता है
हंसने से?
कल भी वो हंसेगा
और रे पागल!
कल तेरी ही छाया
उसके बगल में खड़ी होगी,
दूसरों को भगाने के लिए।
रे मनु की संतान...
क्यों तू उसे बांटता नहीं?
वो तो
सबों के लिए हंसता है- सबों के लिए,
और गर तू उसे घेरेगा
तो वो तुझपर ही हंसेगा...
हंसता रहेगा...
आखिर वो तृष्णा ही तो है,
जो कभी मरती नहीं।
जिंदगी के साथ
या उसके बाद.....।।
-हिमांशु
9 comments:
aapki awaj buland ho
भाई,बहुत बढ़िया..जितने सुंदर शब्द हैं, उतना ही साफ और सुंदर इस कविता का संदेश है। इसी तरह लिखते रहिए..हमेशा.
परम
nice.
very nice himanshu !!
i like these lines very much
वो भोर था
और लो
सुबह आ गई....
कोई और भी था,
मेरे साथ
उसे पहचान न पाया
क्योंकि वो मेरे पास
आया कहा से ?कब ?
पता न चला,
अब मैं फूल को
अपना मानने लगा।
ये जमाने के साथ
मेरे अंदर बढ़ने लगा।
फूल अब भी हंस रहा था।
beautiful !! keep it up
luv u brother
amitabh
Acchi rachna, swagat.
बहुत बढिया रचना है।बधाई।
बहुत सुंदर…आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
बढ़िया कविता है हिमांशु औऱ संदेश भी अच्छा।
सुंदर रचना
भावों की अभिव्यक्ति मन को सुकुन पहुंचाती है।
लिखते रहिए लिखने वालों की मंज़िल यही है ।
कविता,गज़ल और शेर के लिए मेरे ब्लोग पर स्वागत है ।
मेरे द्वारा संपादित पत्रिका देखें
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आर्ट के लिए देखें
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